पटना| देश के किसी भी न्यायाधीश की मातृ-भाषा अंग्रेजी नहीं है। देश की भाषा हिंदी से इतनी घृणा और अंग्रेजी से प्रेम क्यों है। देश की भाषा में पक्ष रखने वाले वकीलों का तिरस्कार क्यों हो रहा है। ये बातें शुक्रवार को वैश्विक हिंदी सम्मेलन मुंबई, अखिल भारत
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डॉ. सुलभ ने केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष और सांसद मनन कुमार मिश्र से इंद्रदेव प्रसाद का निलंबन वापस लेने का आग्रह किया। कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह हिंदी को देश की राष्ट्र-भाषा घोषित कर दे। अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद यादव ने कहा कि इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती कि हिन्दुस्तान में हिन्दी भाषा के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने हिन्दी के लिए जो भावनाएं व्यक्त की थीं, वह आज तक पूरी नहीं की जा सकी। मौके पर उमेश शर्मा, योगेश चंद्र वर्मा, अरुण कुशवाहा, रणविजय सिंह, अजीत कुमार पाठक सहित अन्य लोग उपस्थित थे।