Bihar Bhumi: बिहार में जमीन अधिग्रहण के मामलों में मुआवजे के भुगतान को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नए और साफ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अब अगर जमीन के मालिक का अधिग्रहण के बाद निधन हो जाता है और उनके वारिसों को 50 लाख रुपये से ज्यादा की मुआवजा राशि मिलनी है, तो उन्हें अदालत से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा. पहले ऐसा नहीं था, पहले बड़ी राशि भी अंचलाधिकारी (CO) के प्रमाण पत्र पर दे दी जाती थी, लेकिन अब यह सुविधा खत्म कर दी गई है. यह बदलाव मुआवजे के वितरण में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए किया गया है.
विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर मुआवजे की रकम 50 लाख रुपये से कम है, तो अंचलाधिकारी द्वारा जांच और प्रमाण पत्र के बाद ही वारिसों को पैसा दिया जा सकता है. इसके लिए भी वारिसों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जमा करना होगा. अंचलाधिकारी पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही भुगतान करेंगे. भू अर्जन निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने शेखपुरा के एक मामले में जिला भू अर्जन पदाधिकारी को इसी तरह के निर्देश दिए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा.
जमीन के मालिक के वारिसों को मुआवजा लेने से पहले एक ‘क्षतिपूर्ति बंध पत्र’ भी देना होगा. इस बंध पत्र में उन्हें यह साफ-साफ लिखना होगा कि अगर भविष्य में कोई और व्यक्ति या समूह उस मुआवजे का असली हकदार साबित होता है, तो वे पूरी या कुछ राशि वापस कर देंगे. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि मुआवजा वितरण की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो और कानूनी रूप से यह मजबूत हो. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सही व्यक्ति को ही मुआवजा मिले और बाद में कोई विवाद न हो.
इन नए नियमों से बिहार में भूमि अधिग्रहण के मामलों में मुआवजे के वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी और कानूनी प्रक्रिया और मजबूत होगी. यह उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहाँ मुआवजे की बड़ी रकम शामिल होती है और मृतक भू-स्वामी के कई वारिस हो सकते हैं. सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी गलत व्यक्ति मुआवजे का दावा न कर सके और असली हकदारों को उनका अधिकार आसानी से मिल सके. इन बदलावों से भविष्य में होने वाले विवादों को कम करने में भी मदद मिलेगी.
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