भाजपा में 12 स्टेट यूनिट्स पर फैसला रुका हुआ था। अब इसकी शुरुआत हो गई है। सोमवार को मिजोरम के लए के. बेइचुआ का नाम तय हुआ तो वहीं पुदुचेरी के लिए वीपी रामलिंगम का नाम तय हुआ। यही नहीं तेलंगाना के लिए भी के. रामचंद्र राव का नाम तय माना जा रहा है और किसी भी समय ऐलान हो सकता है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर फैसला लगातार टलता जा रहा है, लेकिन अब फैसले की घड़ी करीब है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष तय हो जाने चाहिए। अब तक यूपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश जैसे कई बड़े राज्यों समेत 12 स्टेट यूनिट्स पर फैसला रुका हुआ था। अब इसकी शुरुआत हो गई है। सोमवार को मिजोरम के लए के. बेइचुआ का नाम तय हुआ तो वहीं पुदुचेरी के लिए वीपी रामलिंगम का नाम तय हुआ। यही नहीं तेलंगाना के लिए भी के. रामचंद्र राव का नाम तय माना जा रहा है और किसी भी समय ऐलान हो सकता है।
इन राज्यों के अलावा जल्दी ही यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्ष भी जल्दी ही तय हो जाएंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि तेलंगाना, मिजोरम और पुदुचेरी में चुने गए अध्यक्षों में एक कॉमन फैक्टर रहा है कि वे आरएसएस के बैकग्राउंड से आते हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भाजपा हाईकमान ऐसे लोगों को ही तवज्जो देने के मूड में है, जो आरएसएस से जुड़े रहे हों या फिर उन्हें लाने से राज्य के सामाजिक समीकरण सधते हों। अब तक मिली जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेय़श से पीवीएन माधव का नाम तय माना जा रहा है।
उत्तराखंड में महेश भट्ट का नाम चल रहा आगे
वह पुराने कार्यकर्ता हैं और उनका परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है। इसके अलावा वह ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं तेलंगाना में रामचंद्र राव ब्राह्मण समुदाय के नेता हैं। राज्य से ओबीसी बंदी संजय कुमार और जी. किशन रेड्डी केंद्र में मंत्री हैं। ऐसे में अब एक ब्राह्मण नेता को कमान देकर बैलेंस बनाया गया है। उत्तराखंड में महेश भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा है, जो ब्राह्मण हैं। वहीं राजपूत लीडर पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं। राज्य की राजनीति में ब्राह्मणों और राजपूतों का दबदबा रहा है और उनकी यहां आबादी भी अधिक है। ऐसी ही स्थिति हिमाचल प्रदेश की भी है।
हिमाचल में वैश्य फैक्टर, यूपी में कौन है रेस में
हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल को ही अध्यक्ष बनाए रखने की चर्चा है। वह वैश्य समुदाय से हैं। समीकरण यह है कि जेपी नड्डा ब्राह्मण हैं और केंद्र में मंत्री हैं। राजपूत लीडर जयराम ठाकुर नेता विपक्ष हैं। ऐसे में एक वैश्य को प्रदेश अध्यक्ष रखा जाएगा। अब बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां किसी ओबीसी नेता को कमान देने पर मंथन हो रहा है। इसके अलावा किसी ब्राह्मण नेता को भी कमान दे दी जाए तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। बीते कई सालों से यहां योगी आदित्यनाथ सीएम हैं और ब्राह्मणों की उपेक्षा के आरोप लगते रहे हैं। फिलहाल यूपी में किसी के भी नाम पर नेता कुछ बोलने से इनकार कर रहे हैं।