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बिगड़ रही मानसून ट्रफ लाइन की चाल, IMD ने बताया क्यों बारिश से वंचित हो रहा बिहार

राजदेव पांडेय/ Bihar Monsoon: पटना. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी), पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक आशीष कुमार के अनुसार, सामान्य स्थिति में मानसून की ट्रफ लाइन गंगानगर से होते हुए इलाहाबाद, गया के पास से गुजरती है और बंगाल की खाड़ी तक जाती है, जब ट्रफ लाइन इस मार्ग पर रहती है, तो बिहार में अच्छी बारिश होती है. लेकिन, हाल के वर्षों में यह रेखा कई बार दक्षिण की ओर चली गयी, जिससे बिहार में वर्षा की मात्रा में कमी आयी है. दक्षिण और मध्य भारत के राज्यों को इस शिफ्ट का लाभ मिला है, लेकिन बिहार जैसे राज्य, जो मानसून के कोर जोन में शामिल नहीं हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि, वैज्ञानिक इसे स्थायी ट्रेंड नहीं मानते. आशीष कुमार के मुताबिक, दशक-दर-दशक ट्रफ लाइन में बदलाव देखा जाता रहा है और इस साल की गतिविधियों पर भी विभाग नजर बनाये हुए है. मानसूनी बारिश के लिए और भी कई कारक जिम्मेदार होते हैं.

कब कितनी बारिश हुई

  • 2022 में सामान्य से 31% कम
  • 2023 में सामान्य से 23% कम
  • 2024 में 20% कम बारिश दर्ज की गयी

17-18 जून को बिहार में मानसून की एंट्री संभव

बिहार में मानसून की आमद अब करीब लग रही है. मौसम विभाग के अनुसार, मौसमी परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं. पुरवैया हवा सक्रिय हो गयी है और इसमें नमी की मात्रा भी पर्याप्त है. इसके अलावा तापमान भी मानसून की शुरुआत के लिए उपयुक्त है. 17-18 जून को मानसून के बिहार में प्रवेश की संभावना है. फिलहाल यह पश्चिम बंगाल में 18 दिनों से अटका हुआ है. 16 जून को राज्य के उत्तर-मध्य और उत्तर-पूर्व जिलों में वज्रपात और बारिश के आसार हैं. इस दौरान हवा की गति 50-60 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है. रविवार को किशनगंज समेत कई इलाकों में भारी बारिश दर्ज की गयी.

क्या है मानसून ट्रफ लाइन

मानसून ट्रफ एक निम्न दबाव का क्षेत्र है, जो पाकिस्तान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला होता है. इसमें नमी युक्त हवाएं होती हैं. खास बात है कि इसके दक्षिण में ही बारिश होती है. यह मानसून बादलों को आकर्षित करता है. इसे एक लंबी, क्षैतिज रेखा के रूप में वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाता है.

मानसून ट्रफ है क्या?

मानसून ट्रफ एक निम्न दबाव का क्षेत्र है, जो पाकिस्तान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला होता है. इसमें नमी युक्त हवाएं होती है. खास बात है कि इसके दक्षिण में ही बारिश होती है. यह मानसून बादलों को आकर्षित करता है. इसे एक लंबी, क्षैतिज रेखा के रूप में वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाता है.

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