उत्तर प्रदेश की मऊ सदर विधानसभा सीट से विधायक रहे अब्बास अंसारी की विधायकी चली गई है. अब्बास अंसारी 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर मऊ सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. एमपी-एमएलए कोर्ट ने अब्बास को चुनाव के दौरान अधिकारियों को देख लेने की धमकी के मामले में दोषी करार देते हुदोसाल की सजा सुनाई है. दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद विधानसभा सचिवालय ने अब्बास अंसारी की सीट को रिक्त घोषित कर दिया है.
अब्बास अंसारी माफिया से नेता बने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं. मऊ सीट का प्रतिनिधित्व अब्बास से पहले मुख्तार ने ही किया. साल 1996 में मुख्तार ने पहली बार मऊ सीट से चुनाव जीता था और तब से अब तक, इस सीट से अंसारी परिवार के सदस्य ही जीतते आए हैं. अब अब्बास की विधायकी खत्म हो जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या मऊ सीट पर अंसारी परिवार की सियासत का, अंसारी परिवार के दबदबे का यह ‘द एंड’ है?
1996 से मऊ में अंसारी परिवार का दबदबा
मुख्तार अंसारी ने 1996 में मऊ सीट से पहली बार जीत हासिल की थी. इसके बाद पार्टियां बदलीं, लेकिन विधायक नहीं. मुख्तार ने इस सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतकर भी अपनी ताकत दिखाई. मुख्तार अंसारी ने 2017 के यूपी चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर आखिरी बार मऊ सीट से चुनाव लड़ा और जीता था. 2022 में एक केस में सजा सुनाए जाने के बाद मुख्तार ने अपनी सीट से बेटे अब्बास अंसारी को उतार दिया.
यूपी चुनाव 2022 में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में थी. सपा-सुभासपा गठबंधन में मऊ सीट सुभासपा के कोटे में गई और राजभर की पार्टी ने इस सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को उतारा. अब्बास ने परिवार की सीट पर कब्जा बरकरार रखा. अब अब्बास के विधानसभा सदस्यता गंवाने के बाद चर्चा इस सीट पर परिवार के दबदबे को लेकर होने लगी है.
उपचुनाव में होगा दबदबे का टेस्ट
अब्बास की विधायकी जाने के बाद मऊ सीट पर उपचुनाव होगा, यह तय हो गया है. उपचुनाव में इस सीट से उम्मीदवार उतारने को लेकर बीजेपी और सुभासपा के बीच खींचतान भी शुरू हो गई है. ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि अब्बास हमारी पार्टी के विधायक थे, उपचुनाव में भी हम ही उम्मीदवार उतारेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी वर्षों की मेहनत से तैयार की गई सियासी जमीन को मऊ में राजभर के हवाले करने के मूड में नहीं लग रही.
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सत्ताधारी गठबंधन में खींचतान के बीच उपचुनाव अंसारी परिवार के लिए बड़ा टेस्ट होगा. अंसारी परिवार के लिए 29 साल की साख दांव पर होगी. अंसारी परिवार का कोई सदस्य या परिवार समर्थित उम्मीदवार अगर मऊ सीट के उपचुनाव में हारता है, तो इसे इस सीट पर अंसारी परिवार के सियासी दबदबे के द एंड की तरह देखा जा सकता है.
अंसारी परिवार से अब्बास के बाद कौन?
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ्शां अंसारी भी कई मामलों में वांछित हैं. मऊ और गाजीपुर पुलिस के साथ ही अफ्शां ईडी की भी वांटेड लिस्ट में हैं. मुख्तार की बहु और अब्बास अंसारी की पत्नी निकहत के खिलाफ भी जेल में पति से गैरकानूनी मुलाकातों के मामले में केस दर्ज है. ऐसे में, मऊ सीट से अब्बास के बाद उनकी मां या पत्नी के चुनाव मैदान में उतरने के आसार ना के बराबर ही हैं. चर्चा में अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी का नाम जरूर है.
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उमर अंसारी मऊ विधानसभा क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. अब्बास के जेल जाने के बाद उमर ने जनता के बीच मौजूदगी बनाए रखी है. उमर के साथ ही एक विकल्प गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत के नाम का भी है. सियासत से दूर रहने वाली नुसरत पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अपने पिता के प्रचार में एक्टिव नजर आई थीं. नुसरत ने महिलाओं की टोली लेकर घर-घर जनसंपर्क किया, सपा कार्यालय में बैठकें कर चुनावी रणनीति भी बनाई थी.