दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम अंतरिम आदेश जारी करते हुए सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों को निर्देश दिया है कि वे सद्गुरु के नाम, छवि और व्यक्तित्व का दुरुपयोग कर बनाई गई फर्जी AI सामग्री को तत्काल हटाएं. ये आदेश सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन द्वारा दायर की गई पर्सनैलिटी राइट्स याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया.
सोशल मीडिया पर लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं कि सद्गुरु की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से तैयार की गई नकली आवाज़ें, तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं. इनका इस्तेमाल लोगों को गुमराह करने, फर्जी निवेश योजनाएं बेचने और चैनल सब्सक्राइबर बढ़ाने जैसे इरादों से किया जा रहा है.
ईशा फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई
इस पर सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में पर्सनैलिटी राइट्स के उल्लंघन को लेकर याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की छवि और पहचान को इस तरह गुमराह करने के लिए नहीं इस्तेमाल किया जा सकता.
ईशा फाउंडेशन ने किया कोर्ट के आदेश का स्वागत
ईशा फाउंडेशन ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ये स्कैम न सिर्फ सद्गुरु की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि आम जनता को भी धोखाधड़ी का शिकार बनाते हैं. ईशा फाउंडेशन इस तरह की नकली सामग्री को हटाने और व्यक्तियों को इन घोटालों का शिकार होने से बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है.ये आदेश डिजिटल स्पेस में मशहूर व्यक्तित्वों की छवि और अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.