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बिहार पुलिस को मिलेगा देश का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर, राजगीर में अब एक साथ 4000 सिपाही होंगे तैयार

Bihar Police: बिहार पुलिस के बुनियादी ढांचे को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए राज्य सरकार ने राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी के विस्तार की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह अकादमी अब 4000 सिपाहियों को एक साथ प्रशिक्षण देने में सक्षम बनेगी. वर्तमान में यहां सिर्फ दारोगा और DSP रैंक के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन अब सिपाही स्तर के प्रशिक्षण के लिए भी आधुनिक सुविधाओं का विकास होगा.

आधारभूत संरचना को मिलेगा नया रूप

इस परियोजना के तहत परेड ग्राउंड, स्टाफ क्वार्टर, नई अकादमिक बिल्डिंग और सेकेंडरी एंट्रेंस गेट जैसी प्रमुख सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए कुल 12 करोड़ 6 लाख 36 हजार रुपये की लागत को गृह विभाग ने प्रशासनिक मंजूरी दी है, जिसमें से प्रारंभिक कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी तेज़ी से आगे बढ़ाई जा रही है.

बढ़ती सिपाही भर्ती से बढ़ी ट्रेनिंग कैपेसिटी की ज़रूरत

पिछले कुछ वर्षों में बिहार पुलिस बल में 10 से 12 हजार सिपाहियों की नई भर्ती की गई है, जिससे प्रशिक्षण केंद्रों पर दबाव काफी बढ़ा है. ऐसे में राजगीर की यह अकादमी अब राज्य के सबसे बड़े सिपाही प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित होगी. बता दें कि यह अकादमी 133 एकड़ में फैली है और 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था. इसे 2020-21 में केंद्रीय गृह मंत्री ट्रॉफी से भी नवाजा जा चुका है.

ट्रेनिंग क्षमता होगी दोगुनी से ज्यादा

वर्तमान में यहां 200 डीएसपी रैंक अधिकारियों और लगभग 2000 अन्य पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की क्षमता है. विस्तार के बाद यह आंकड़ा दोगुने से ज्यादा होगा। नए निर्माण के साथ ही यहां प्रशिक्षुओं को आधुनिक परेड, ड्रिल, रणनीतिक कौशल और कानून व्यवस्था से जुड़ी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जिससे राज्य पुलिस बल को और अधिक दक्ष बनाया जा सकेगा.

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पटना में बनेगा मानवाधिकार आयोग का नया भवन

इसी क्रम में एक और बड़ा निर्णय लेते हुए गृह विभाग ने पटना के गर्दनीबाग में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के लिए चार मंजिला आधुनिक कार्यालय भवन निर्माण को हरी झंडी दे दी है. इसके लिए 22 करोड़ 98 लाख रुपये की लागत स्वीकृत की गई है. फिलहाल आयोग का कार्यालय सूचना भवन परिसर में संचालित हो रहा है. नए भवन के निर्माण से आयोग को स्वतंत्र कार्यस्थल मिलेगा, जिससे मानवाधिकार संरक्षण के प्रयासों को नई ऊर्जा मिलेगी.

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